लेखनी प्रतियोगिता -10-Oct-2023 "कन्यादान"
कन्यादान
जब जन्म लिया था तुमने और बनाकर कन्या घर आई।
तब कुछ लोगों ने मुंह बिचकाया तो कुछ ने तुमको आशीष दिया।।
जब सुना हुआ जन्म है बेटी का मैं दौड़ के तुम तक पहुंचा गया।
नन्ही हथेली को हाथ में थामा और तुमको गोद में मैंने उठा लिया।।
आंखें खुशियों से भर आई लगा मिल गया है सपना मुझको बचपन का जीने को।
घर लेकर तुमको आया मैं मां के आंचल की बनाकर गुड़िया प्यारी को।।
खुशियां किलकारी भरने लगी और घर में स्वागत हुआ तुम्हारा परियों सा।
हर तरफ फैल गए मोती खुशियों के गम हुए रूठ के पराए से।।
मां ने पैर में बंधी पायल तुम छम छम कर बढ़ती जाती थी।
घर में अब राज तुम्हारा था हर ओर तुम बनाकर खुशियां छाई थी।।
कभी समाती गोद में तुम और कभी गले से झट आ लगतीं थी।
नित्य रोज शैतानी तुम अपने छोटे छोटे हाथों से करती थी।।
कभी सवालों की झड़ी लगती कभी नाक पर गुस्सा रख लेती थी।
मां की लाडली और पिता के दुलार से तुम हर एक पे हुक्म चलाती थी।।
घर आँगन हो या फ़िर गालियाँ हर जगह हड़कंप मचाती थी।
डांटा तुमको जो कभी किसी ने भी आकर तुम पीछे मेरे छुप जाती थी।।
दिन महीने साल निकलते गये अब बेटी हुई सयानी है।
मां ने जब किया इशारा और मुझे फिर समझायी पूरी कहानी है।।
बेटी अब हो चली सयानी अब हाथ उसके पीले करने की वारी आई है।
देखा आज तो एहसास हुआ बेटी दूजे घर जाने की तैयारी हो आई है।।
बेटी का करना है अब कन्यादान परंपरा ये कैसी चली आई है।
रखा पत्थर हृदय पर और पिता ने आंखों की नमी छुपाई है।।
देकर हाथ वर के हाथों में जगत की दिल से रीति निभाई है।
कन्यादान है सबसे बड़ा दान दुनिया को बात ये समझाई है।।
मधु गुप्ता "अपराजिता"
hema mohril
11-Oct-2023 03:12 PM
V nice
Reply
Mohammed urooj khan
11-Oct-2023 12:56 AM
👌👌👌👌
Reply
Reena yadav
10-Oct-2023 09:12 PM
👍👍
Reply